Karni Mata Temple । करणी माता मंदिर देशनोक की मान्यताएं

What Are The Beliefs Karni Mata Temple : जय माँ करणी दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं बीकानेर से करीबन 30 किलोमीटर दूर देस लोक में स्थित करणी माता मंदिर के बारे में इस मंदिर में सबसे ज़्यादा चूहे रहते हैं जिसकी वजह से करणी माता को काबा वाली डोकरी बोलते हैं। देस लोक में स्थित करणी माता मंदिर जहाँ पर वर्तमान समय में 20,000 से भी अधिक चूहे रहते हैं और इनमें से बहुत ही कम चूहे ऐसे हैं जिनका रंग सफेद ओर उनको श्रद्धालु काबा के नाम से जानते हैं

और आज के समय में पूरे हिंदुस्तान के लोग माँ करणी के दर्शन करने के लिए आते हैं और साथ ही सभी श्रद्धालुओं के मन में एक ही सवाल रहता है कि क्या आज मेरे को सफेद चूहे के दर्शन होंगे की नहीं, क्योंकि सफेद चूहा हजारों में से एक या दो व्यक्ति को दिखाई देता है और श्रद्धालुओं का मानना ये है कि सफेद चूहे के दर्शन करने के बाद माँ करणी के दर्शन हो जाते हैं

  • माँ करनी के दरबार में हजारों की संख्या में चूहे रहते हैं
  • सफेद चूहे का दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को भाग्यशाली माना जाता है
  • करणी माता के दरबार में मिठाइयों का भोग लगाया जाता है
  • माँ करणी के दरबार में दारू का भी भोग लगाया जाता है


करणी माता की जो आपको तस्वीर देखने को मिलेगी उसमें आपको डोकरी के हाथ में त्रिशूल दिखाई देगी साथ ही आपको तस्वीर में चूहे दिखाई देंगे, चारण जाति के लोगों का यह मानना है कि दरबार में जितने भी चूहे रहते हैं वो सारे चूहे हमारे ही परिवार के हैं उनका यह मानना है कि मनुष्य जीवन में जो व्यक्ति जैसा कर्म करेगा उनको ऐसी वैसी ही जगह मिलेगी है अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति को मृत्यु के बाद माँ डोकरी के चरणों में जगह मिलती है।

Where is karni Mata in-Laws House – करणी माता का ससुराल कहाँ पर है

राजस्थान के बीकानेर से करीब 30 किलोमीटर दूर नोखा जिले में स्थित माँ करणी मुख्य मंदिर है और मंदिर से करीबन 50 किलोमीटर दूर साठिका गाँव मैं काबा वाली डोकरी ( माँ करणी ) का ससुराल है। इस गाँव में भी करनी माता का भव्य मंदिर बनाया गया है यहाँ पर भी श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए भोग लगाने आते हैं। बताया जाता है कि चारण जाति में जब किसी की शादी होती है तो करणी माता के साथ-साथ गठजोड़ों कि जात साठिका गाँव में भी लगानी पड़ती है।

करणी माता का जन्मस्थान कहाँ पर है

करणी माता का जन्म जोधपुर जिले के सुवाप गाँव मैं हुआ था इसी गाँव में डोकरी ने 27 वर्ष तक अपना जीवन बिताया और माता आवड़ की हाजरी लगायी थी। इस गाँव में करणी माता का भव्य मंदिर बना हुआ है यहाँ पर भी श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण होने की कामना करने के लिए जाते हैं।

When Was Karni Mata Born : करणी माता का जन्म कब हुआ था

करणी माता का जन्म जोधपुर जिले के सुवाप गाँव मे 20 सितम्बर 1387 शुक्रवार के दिन हुआ था और कथाओं के अनुसार करणी माता पूरे 21 महीनों तक अपनी माता के पेट में रहने के बाद जन्म लिया था।

What is the First Miracle Of Karni Mata : करणी माता का पहला चमत्कार क्या है

माँ डोकरी का पहला चमत्कार तो 21 महीने से धरती पर आना है करणी माता ने अपनी माँ के पेट से 21 महीने बाद जन्म लिया था और उसके बाद पहला पर्चा अपनी बुआ जी को दिया था।बुआ जी एक हाथ काम नहीं कर रहा था और तभी बुआ जी करणी माता को नहला रही थी और उसी टाइम करणीमाता ने आदेश दिए कि बुआ जी आप मेरे को दोनों हाथों से नहलाओ बुआ जी जवाब दिया कि बेटा मेरा तो एक हाथ काम भी नहीं करता है तो मैं दोनों हाथों से कैसे नहलाओ तेरे को

करणी माता ने जवाब देते हुए बोला कि क्यों बुआजी आप बहाना बना रहे हो मैं आपको बोल रही हो कि आप मेरे को दोनों हाथों से नहलाओ आपके दोनों हाथ देखो काम कर रहे हैं। बुआ जी ने अपने हाथ देखें तो दोनों हाथ काम कर रहे थे उसी दिन से बुआ जी को पता चला कि हमारे घर में जो कन्या आई है वह 1 चमत्कारी कन्या है।

Why is Karni Mata temple famous – करणी माता का मंदिर क्यों प्रसिद्ध है

नोखा जिले में प्रसिद्ध करणी माता देशनोक मंदिर पर्यटकों और तीर्थ यात्रियों के लिए सबसे शुभ मंदिर माना जाता है इस मंदिर में हजारों की संख्या में चूहे रहते हैं जिनमें से कुछ % चूहे सफेद रंग के हैं उनके दर्शन करने पर श्रद्धालु अपने आपको साक्षात करणी माता का दर्शन करना मानता है। इसके लिए देशनोक में स्थित करणी माता मंदिर चूहो वाली माता के नाम से प्रसिद्ध हैं।

Where Can You Find A White Rat in Karni Mata Temple : देशनोक करणी माता मंदिर में सफेद चूहा कहाँ पाया जाता है

करणी माता देशनोक काबा आली डोकरी के भक्त जनों को पता है कि महादेवी के दरबार में कितने चूहे रहते हैं इस मंदिर में जब भी आप जाओगे तो हज़ारों की संख्या में चूहे पाए जाएंगें वह चूहे इधर-उधर मंदिर में घूमते रहते हैं साथ ही मंदिर में आए प्रसाद को ग्रहण करते हैं इन्ही में से कुछ चूहे जिनका रंग सफेद हैं सफेद रंग के चूहे आसानी से हर किसी श्रद्धालुओं को नहीं दिखते हैं

मान्यताओं के हिसाब से सफेद रंग का चूहा सबसे ज़्यादा शुभ माना जाता है लोगबाग का मानना है कि सफ़ेद रंग का चूहा देखने का मतलब कि माँ करणी के दर्शन किए हैं। यह चूहा आपको मंदिर के आस-पास में ज़्यादातर मिलेगा साफ़ है पठानकोट जो है ज़्यादातर आपको रात्रि के समय में मंदिर के बाहर हैं देखने को मिलते है।

What is the real name of Karni Mata : करणी माता का असली नाम क्या था

बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर देशनोक में स्थित मंदिर में बैठी करणी माता (टोकरी) का असली नाम रिघूबाई था। करणी माता के चमत्कारों के बाद रिधूबाई का नाम बदलकर श्रद्धालुओं द्वारा करणी माता जी रख दिया गया था।

करणी माता मंदिर का निर्माण कब हुआ था

Karni Mata Temple का निर्माण सन् 1530 किया गया था। बीकानेर के महाराजा गंगासिंह द्वारा 1900 में मंदिर को एक अच्छा आकार देकर चाँदी के दरवाजे और स्तम्भ बनवाए गए थे।

Bikaner to Karni Mata Temple distance : बीकानेर से करणी माता मंदिर कितनी दूर है

राजस्थान के बीकानेर से देशनोक 31 किलोमीटर है

जहाँ आप अपनी गाड़ी से 20-25 मिनट के समय से पहुँच जाते हैं। बीकानेर से देश को ब्लॉक के लिए बस से भी जाती रहती है जिसका किराया 30-40 रुपये देकर आसानी से 10 मिनट में पहुँच सकते हैं।

जयपुर से करणी माता मंदिर देशनोक कितनी दूरी पर है ?

जयपुर से करणी माता मंदिर 363 किलोमीटर है जिसका समय आपको 5 से 6 घंटे लगने वाले हैं। जयपुर से बीकानेर और देशनोक के लिए एकदम सीधी सड़क बनायी गई है और उसको हाईवे के नाम से जाना जाता है।

Jaipur To Deshnok Karni Mata

और आप चाहें तो रेलगाडी की मदद से भी आ सकते हैं जो कि जयपुर से सीधे आपको बीकानेर में पहुँचाने वाली है बीकानेर से आप में देशनोक जा सकते हो मात्र 20 मिनट में जिसके लिए आपको बस में जाना पड़ता है।

What Offerings Are Made To Karni Mata : करणी माता को क्या भोग लगाया जाता है

काबा वाली डोकरी को सर्वप्रथम मिठाई का भोग लगाया जाता है साथ ही करणी माता के दरबार में दारू भी चढ़ाई जाती है। ज़्यादातर श्रद्धालुओं को मखाणे का प्रसाद चढ़ाना पसंद है क्योंकि मखाने को मंदिर में रह रहे चूहे भी खा लेते हैं।

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