Some important information about jaipur । जयपुर पिंक सिटी का इतिहास जानिए

थार का मरुस्थल कहा जाने वाले राजस्थान की राजधानी जयपुर बहुत ही सुंदर नगर है जयपुर का इतिहास देखने में बहुत ही रोमांचक एवं आनंद में तथा वर्तमान में भी जयपुर बहुत सुंदर एवं आकर्षक में लगता है ओर जयपुर का निर्माण 17वीं शताब्दी के लगभग हुआ था जयपुर को पिंक सिटी भी कहा जाता है राजस्थान की राजधानी जयपुर अपने संस्कृति नृत्य घूमर तथा अपनी संस्कृति परंपराओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

जयपुर को राजस्थान की आन बान शान मानी जात है क्योंकि जयपुर में हर काम के लिए कंपनियां छोटे बड़े कारखाने सभी रोजगार उपलब्ध है जयपुर की साक्षरता बहुत अधिक है जयपुर पर्यटकों के लिए विश्व प्रसिद्ध ओर यहाँ बहुत सारी फिल्मों की शूटिंग भी की गई है क्योंकि यह फिल्मों के लिए बहुत अच्छी जगह है।

When was jaipur built : जयपुर का निर्माण कब हुआ

1725 ईस्वी में सवाई मानसिंह उत्तर पश्चिम में सबसे ताकतवर राजा बन चुके थे वह आमेर में कम पानी जनसंख्या दबाव से परेशान होकर अपनी नई राजधानी बनाना चाहते थे इसलिए उन्होंने 1727 ईस्वी में जयपुर की नींव रखी थी तब उन्होंने बंगाल के वास्तु शास्त्र विद्याधर भट्टाचार्य को बुलाया और उनके अनुसार जयपुर का निर्माण करवाया गया था।

What is the extent of jaipur : जयपुर का विस्तार कितना है

सवाई जयसिंह द्वारा बसाए जयपुर शहर बहुत सुंदर इसकी उत्तर से दक्षिण चौड़ाई लगभग 110 किलोमीटर तथा पूर्व से पश्चिम की लंबाई 180 किलोमीटर मानी गई है इसका कुल क्षेत्रफल अगर देखा जाए तो लगभग 467 वर्ग किलोमीटर है अगर हम इसका 1 किलोमीटर में रहने वाले लोगों की संख्या ज्ञात करें तो लगभग 1 किलोमीटर में 595 लोग रहते हैं जयपुर राजस्थान की सबसे विकसित एवं सुंदर तथा पर्यटकों के लिए आकर्षण में सिटी मानी गई हैं।

What is included in the construction of Jaipur : जयपुर के निर्माण में क्या-क्या है

सवाई जयसिंह ने जयपुर के निर्माण में बहुत कुछ करवाया गया था सवाई जयसिंह ने कई मंदिर महल दरवाजे सड़के चौकिया आदि का निर्माण करवाया था जयपुर के निर्माण के समय इसमें नो चोकिया थी जयपुर की सुरक्षा के लिए उन्होंने जयपुर के चारों ओर ऊंची ऊंची दीवारों बनवाई जिसकी लंबाई पूरे जयपुर को सुरक्षित कर सके तथा ऊंचाई 24 फीट और चौड़ाई 9 फीट रखी गई जिससे जयपुर को कोई दुश्मन हमला ना कर सके

और जयपुर की आन बान शान को खतरा न हो इसमें एक सड़क भी बनाई गई जो सूर्य पोल से चंद्रपोल तक की जिसकी लंबाई 2 किलोमीटर तथा चौड़ाई 120 फिट थी जयपुर शहर के निर्माण के समय इसमें सात दरवाजे जिनके नाम कुछ इस प्रकार हैं अजमेरी गेट, नया गेट, सांगानेरी गेट, घाट गेट, सूरजमल गेट, सम्राट गेट, जोरावर सिंह गेट ओर गंगापुर गेट आदि जयपुर के मुख्य दरवाजा माने गये है जयपुर में मुख्य सड़क की लंबाई लगभग 110 फिट जो जयपुर के मुख्य रास्तों में बनाई गई और जयपुर के छोटे नगरों तथा गलियों को जयपुर की बड़ी गलियों में मार्गों को जोड़ने का काम करती उनकी चौड़ाई लगभग 60 फिट है जयपुर के निर्माण में लगभग 4 साल लगे थे।

Information about Amer of Jaipur : जयपुर के आमेर किले के बारे में जानकारी

राजस्थान का सबसे सुंदर शहर जयपुर का सबसे ऊंचे पहाड़ पर स्थित आमेर किला राजा मानसिंह प्रथम द्वारा 1592 ईस्वी में बनाया गया जो जयपुर से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। यह इतनी ऊंचाई पर होने के कारण बहुत ही सुंदर और सुरक्षा की दृष्टि से बहुत ही अच्छा किला माना जाता है इस किले का खुलने का समय सुबह 8:00 से लेकर शाम 6:00 तक होता है तथा पर्यटकों के लिए टिकट मात्र ₹100 होती है ओर विदेशी यात्रियों के लिए अलग टिकट लगती है इसमें एक लाइट शो भी चलता है जो रात्रि 9:00 बजे से लेकर 11:00 बजे तक होता है जिसकी टिकट अलग से लगती है की लाइटिंग देखकर पूरा आमेर किला जगमगा उठाता हैं।

जो देखने में बहुत आनंद देता है आमेर किले के अंदर एक शीश महल का निर्माण कराया गया जो 40 स्तंभों पर टिका हुआ है इसमें दीवाने आम दीवाने खास और एक म्यूजियम भी बनाया जो लाल पत्थरों से बनाया था।

Information about Hawa Mahal : हवा महल जयपुर के बारे में जानकारी

जयपुर की दक्षिण और में स्थित हवा महल का निर्माण 1799 ईस्वी में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था यह जयपुर की बड़ी चौपड़ के मुख्य सड़क के किनारे स्थित इसके निर्माता लालचंद उस्ताद जिन्होंने इसे हिंदू शैली राजपूत शैली तथा मुगल शैली में निर्माण कराया गया इसमें 553 खिड़कियां छोटी-बड़ी है ।

इसमें लाल गुलाबी पत्थर का इस्तेमाल किया गया है यह पांच मंजिला इमारत कृष्ण जी के मुकुट के समान लगती है जो देखने में बहुत सुंदर है इसकी पांच मंजिल से सिटी पैलेस का जंतर-मंतर देखने में बहुत ही सुंदर लगता है यह खास तौर से महिलाओं के लिए बनाया गया क्योंकि पर्दा के कारण महिला रास्ते पर चल रहे मनोरंजन तथा बाजार को खिड़कियों से देख सके यह पांच मंजिल होने के बाद भी इस हवा महल में कोई सीढ़ियाँ नही है।

Information about Jantar Mantar in Jaipur : जयपुर के जंतर-मंतर के बारे में जानकारी

जयपुर में स्थित जंतर-मंतर विश्व की सबसे प्राचीन खगोलीय वेधशाला है जिसका निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह ने 1724 ईस्वी में करवाया था उन्होंने पांच वेधशालय बनाए थे जो दिल्ली जयपुर मथुरा वाराणसी ओर उज्जैन में सबसे बड़ी जयपुर की जंतर-मंतर वेधशाला है इसमें 19 खगोलीय यंत्र थे जिससे सूर्य चंद्रमा की गति एवं ग्रहों की स्थिति का ज्ञान होता था इसमें संगमरमर तथा पीतल का इस्तेमाल यंत्र बनाने में किया गया इसको 2010 मैं यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल किया गया था।

इसमें सबसे बड़ा यंत्र सम्राट नामक यंत्र है जो सूर्य घड़ी यह विश्व की सबसे प्राचीन एवं बड़ी सूर्य घड़ी जो सही समय बताती थी इसको बनाने में लगभग 10 वर्षों का समय लगा और यह हवा महल के पीछे है।

Jaigarh of Jaipur : जयपुर का जयगढ़ क्यों प्रसिद्ध हैं

जयपुर में स्थित जयगढ़ दुर्ग गिरी श्रेणी का दुर्गा माना गया है इसका निर्माण राजा मिर्जा जयसिंह ने 1627 ईस्वी में करवाया था बाद में इसका निर्माण राजा सवाई जयसिंह ने 1726 ईस्वी में करवाया था राजा मिर्जा जयसिंह के नाम पर ही जयगढ़ दुर्ग नाम दिया गया इस दुर्ग का उपनाम संकटमोचन दुर्गा भी कहा गया क्योंकि इसमें विश्व की सबसे बड़ी तोप डालने का सही सायंत्र तथा जयबाण जो विश्व की सबसे बड़ी तोप जो जयगढ़ दुर्ग में स्थित है।

यह गढ़ जिला का टीला पहाड़ी पर स्थित है जो धरातल ताल से 500 फीट ऊंचा है इसमें मुख्यतः तीन दरवाजे थे जो डूंगर दरवाजा, अवनी दरवाजा, भेरू दरवाजा है इसमें मौत का कुआं भी स्थित जो बहुत ही गहरा है श्रीमती इंदिरा गांधी की खजाने की खोज के कारण यह विश्व और देश में चर्चित रहा है।

Jal Mahal of Jaipur : जयपुर का जल महल

जयपुर में स्थित जल महल का निर्माण राजा जयसिंह द्वारा मानसरोवर झील में कराया गया जो 18वीं शताब्दी के लगभग था। यह जयपुर के उत्तरी भाग में स्थित है इस रोमांटिक महल भी कहा जाता है यह पांच मंजिला महल है जो चार मंजिल जल के अंदर तथा एक मंजिल ऊपरी भाग में है यह महल विशेष ग्रीष्म ऋतु के लिए राजाओं तथा उनकी रानियां के लिए बनाया गया था इसमें लाल पत्थर का संगमरमर की विशेष कारीगरी की गई है ऊपरी मंजिल पर चमेली का बाग बनाया गया जो की बहुत ही सुंदर लगता है।

Information about the ZOO : जयपुर चिड़ियाघर मैं टिकट कितनी लगती है

जयपुर में स्थित चिड़ियाघर का निर्माण 1868 में सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था यह रामबाग उद्यान परिषद में स्थित है यह लगभग 35 एकड़ में बना है तथा 50 से अधिक प्रजाति इसमें रहती है इसमें भारतीय नागरिकों की ₹15 टिकट लगती है तथा विदेशी की ₹ 150 रुपए लगते हैं।

Why is Jaipur called the pink city : जयपुर को पिंक सिटी क्यों कहते हैं

जयपुर को 1876 में महाराजा सवाई जयसिंह द्वारा पूरा गुलाबी कलर में रंग गया क्योंकि महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस अल्बर्ट के आने की खुशी में स्वदेशी ने पूरे जयपुर नगर को एक ही कलर में रंग दिया था तब जयपुर का नाम गुलाबी नगरी प्रसिद्ध हो गया ओर स्टैनली रीड ने सबसे पहले इसे पिंक सिटी बोला था।

Some main information about Jaipur : जयपुर की कुछ मुख्य बातें

  • जयपुर को भारत का पेरिस भी कहा जाता है
  • दिल्ली से जयपुर 280 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह
  • यह राजस्थान की राजधानी भी है
  • यह विश्व की सबसे सुंदर शहरों मे शामिल होता है
  • सम्राट यंत्र नाम से जानने वाली यह सूर्य घड़ी दुनिया की सबसे बड़ी घड़ी भी यही है
  • इस वर्ल्ड हेरिटेज सिटी में 2019 को जोड़ा गया था
  • इसमें गोल्डन ट्रायंगल भी है जो दिल्ली आगरा जयपुर का है
  • वर्तमान में इसमें 13 मई 2008 को विस्फोट हुआ था जिसमें 71 से ज्यादा लोग मारे गए थे

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